Monday, January 31, 2011

बाल विवाह या बचपन से खिलवाड़




भारतीय समाज अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है किन्तु हमारे समाज में आज भी इतनी कुरीतिया व्याप्त हैं जिनका आज तक कोई निदान नहीं हुआ इसी वजह से आज भी हम दुसरे देशों से बहुत पीछे हैं इन कुरितियो में एक है बाल विवाह

बाल विवाह एक ऐसी कुरीति है जिसने हमारे देश के बचपन को रौंद के रख दिया है

भारतीय गांवों में आज भी बाल विवाह किये जाते है . कानून भी बने हुए हैं किन्तु यह कुप्रथा आज भी हमारे समाज में 'जस की तस ' चली आ रही है . क्यूँ माँ , बाप अपने बगीचे की नन्ही कलियों के साथ ये खिलवाड़ करते हैं . उनको क्या मिलता होगा यह सब करके . कभी सोचा कि छोटे छोटे बच्चों को शादी के बंधन में बाँध देते है . उनको मालूम भी होगा शादी क्या होती है शादी कि मायने क्या हैं ?,उनका शरीर शादी के लिए तैयार भी है ?वो नन्ही सी आयु शादी के बोझ को झेल पायेगी?

वो मासूम बचपन , जिसमें छोटे छोटे फूल खिलते हैं ,मुस्कुराते हैं, नाचते हैं ,गाते हैं ऐसे लगते हैं मानो धरती का स्वर्ग यही हो, खुदा खुद इन में सिमट गया हो कहते हैं बचपन निछ्चल , गंगा सा पवित्र होता है तो क्यूँ ये माँ बाप ऐसे स्वर्ग को नरक कि खाई में धकेल देते हैं उनकी बाल अवस्था में शादी करके 'सोचो '
जब फुलवाड़ी में माली पौधे लगता है उनको पानी खाद देता है सींचता है वो जब बड़े होते हैं उनपे नन्ही नन्ही कलियाँ आती हैं देखने में कितनी अच्छी लगती हैं जब वही कलिया खिलके फूल बनती हैं तो पूरी फुलवाड़ी उनसे महक उठती है

यदि वही कलियाँ फूल खिलने से पहले तोड़ दी जाएँ उनको पावों तले रौंद दिया जाये तो पूरी फुलवाड़ी बेजान हो जाती है ऐसे ही यह छोटे छोटे बच्चे हैं इनके बचपन को खिलने दो महकने दो जब ये शादी के मायने समझे इनका शरीर और मन , दिमाग शादी के योग्य हो ,आत्म निर्भर हो ग्रहस्थी का बोझ उठाने योग्य हो तभी इनकी शादी कि जाये

किन्तु ये बात लोग नहीं समझते क्यूंकि आज भी हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी अनपढ़ गंवार है और ८०% से ज्यादा लोग गाँवों में रहते हैं इनलोगों को समझाने से पहले हमें इनको शिक्षित करना होगा

इसके पीछे एक और बड़ा कारण है हमारे देश की बढती हुई आबादी और गरीबी .गरीबी और अनपढ़ता के कारण माँ बाप अपने छोटे छोटे बच्चे -बच्चिओं को बेचने तक मजबूर हो जाते हैं इसीलिए उनका विवाह बचपन में कर देते हैं और उनसे उनका बचपन छीन लेते हैं

इस कुरीति से निपटने के लिए एक तो कानून जो बने हैं उनमें सुधार की अवश्यकता है और उन्हें कडाई से लागू करना होगा

सबसे बड़ी बात लोगों को जागरूक करना होगा इस के विरुद्ध .बाल विवाह से क्या शारीरक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं क्या क्या दुःख झेलने पड़ते हैं जब छोटी छोटी बच्चिआं माँ बनती हैं और साथ ही हमें लोगों को शिक्षित भी करना होगा

हम पढ़े-लिखे लोगों को आगे आना होगा इसके खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी कहीं भी बाल विवाह होता देखें तो उसकी रिपोर्ट पुलिसे ठाणे में करें ये कर्तव्य है हमारा अपने प्रति, उस मसूं बचपन के प्रति और समाज के प्रति

जिस दिन ये कर्तव्य लोग निभाना सीख लेंगे उस दिन ऐसी कुरीतिया हमारे समाज से दूर हो जायेंगी
और धीरे धीरे हमारा समाज में भी बचपन खिलखिलाने लगेगा मुस्कुराने लगेगा और हमारी बगिया महकने लगेगी

2 comments:

  1. kewal gaon me hi nai shari ilaakon me ye kule aam ho raha hai. na jane kab logo ko samajh aayegi.

    ReplyDelete