Tuesday, September 20, 2011

खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है !

खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है !
नफ़रत को मिटा देगा बहता हुआ पानी है !!

कहीं निर्मल ,कहीं शीतल कहीं होता है खारा भी !
बिछुडों को मिला देगा, बहता हुआ पानी है !!

बिरहा में तड़पती हुई जागी हुई आँखों में !
आँसू भी सज़ा देगा बहता हुआ पानी है !!

लेना ना कभी टक्कर ,ताकत है बहुत इस में !
तेरी हस्ती मिटा देगा बहता हुआ पानी है !!

तू कूद जा लहरों में घबरा नहीं बिलकुल भी !
ये पार लगा देगा बहता हुआ पानी है !!

"ज्योति" तेरी मंज़िल तो अब दूर नहीं ज्यादा !
सागर से मिला देगा बहता हुआ पानी है !!

Monday, September 19, 2011

वो मुझे आज़माने लगे हैं!


तब से वो मुझे आज़माने लगे हैं!
गैर जो उनके घर आने जाने लगे हैं!!

खारों की रफकत हुई उस दिन से!
नज़रें वो जब से चुराने लगे हैं!!

देज़ो जो, रंगत मिली फीकी फीकी!
तर्कश के तीर पुराने लगे हैं!!

बस छाँव नहीं, वो देता बहुत कुछ!
पतझड़ के मौसम आने जाने लगे हैं!!

दिया जो ज़हर मुझको धीरे धीरे!
वो रकीबों से हाथ मिलने लगें हैं!!

"ज्योति"तेरी तक़दीर रूठी कुछ ऐसे!
जिसको बनाने में तुझे ज़माने लगे हैं!!
jyoti dang

Thursday, September 15, 2011

जाओ हम इल्तजा नहीं करते


है पता वो वफ़ा नहीं करते !
फिर भी हम तो गिला नहीं करते !!

जी में आये तो मिलने आ जाना !
जाओ हम इल्तजा नहीं करते !!

जिस को रस्ते में छोड़ देना हो !
शुरू वो सिलसिला नहीं करते !

जिन को हम रूह से प्यार करते हैं !
वो भी हम से वफ़ा नहीं करते !!

मेरे ठाकुर बड़े दयालु हैं !
वो किसी का बुरा नहीं करते !

जान देते हैं जो वतन के लिए !
वो कभी भी मरा नहीं करते !!

गम की गूंजे जहां पे शेहनाई !
हम वहाँ पर रुका नहीं करते!!

वो जो दिल की जुबां नहीं रखते !
हम तो उन से मिला नहीं करते !!

वो जो जलते हैं याद में " ज्योति "
वो चिरागां बुझा नहीं करते !!

Tuesday, September 6, 2011

चेहरा


कितना याद हैं कितना याद आता है!
तेरा चेहरा तन्हाई बढ़ा जाता है!!

रात तीरगी में अकसर हमदम!
खुद न सोता है मुझको जगा जाता है!!

यादों से कहो मुझको न याद आया करें!
इनके जाने का गम मुझको रुला जाता है!!

मुकरने की अदा यूँ ही संभाले रखना"ज्योति"!
तेरे चेहरे का नूर,ये चाँद सा बढ़ा जाता है!! 

Friday, September 2, 2011

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ



थोड़ी ज़मीं आसमां चाहता हूँ !
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ !!

सीख ली तुम ने मुहं को छिपाने की आदत !
मैं ये काम ना सीखना चाहता हूँ !!

सकूनोअमन थोड़े थोड़े जहां हों !
...छोटा सा ऐसा  मकाँ चाहता हूँ !!

कहूँगा नहीं हाले दिल मैं अकेले !
सरे बज़्म करना बयाँ चाहता हूँ !!

पैसे से मिलता है दुनिया में सब कुछ !
है ये झूठ सब से कहा चाहता हूँ !!

कुदरत ने इतने दिए हैं मुझे गम !
के उन को ही अपना किया चाहता हूँ