Friday, May 27, 2011

कुंदन बन जा


भूल पे भूल करता जा
कुछ तो खुद को सुधार
प्रायश्चित की अग्नि में
तप कर
कुंदन बन जा
भ्रमित भूले भटके
मन को
कुछ तो सुधार कर
कुछ तो शुद्धिकरण कर
क्यूँ भटक रहा
इस नश्वर संसार में
किस लिए ?
चंद चांदी के सिक्कों के
लिए
या अपने स्वार्थ हेतु
कौन हुआ है तेरा
ये संसार नहीं है तेरा
ये तो है रैन बसेरा
क्यूं भाग्मभागी में
सम्मिलित हो रहा
क्यूँ इस जिन्दगी को
मिटटी के भाव तौल रहा
जिन्दगी चार दिन की
फिर क्यूँ लिप्त है
कुकर्मों में
कुछ पलों को
सुकर्मों में
लगा
रहा न कोई सदैव
इस नश्वर संसार में
रुक जा
ठहर जा
अभी समय है
संभल जा
भूल जो हुई तुझ से
कोई
उसकी क्षमां मांग
प्रायश्चित कर
और सुधर जा
और एक नयी
आधार शिला रख जा 

Tuesday, May 24, 2011

जुदाई


तुमसे जुदा हो के खोई हूँ मैं
तभी ही सारी रात रोई हूँ मैं

कहने को तुमने कहा बेवफा मुझे
जो तुमने काटा वही तो बोयी हूँ मैं

तुम्हे चाहा तुम्हारी इबादत की मैंने
एक चुटकी में सिंदूर तेरी होई हूँ मैं

परिंदा बन तेरे संग उडू आसमानों में
ना जाने कितने ख़्वाबों को सजोयी हूँ मैं

तरसते रहे तेरी एक मुस्कराहट के लिए
ना जाने कितने ही गमों को ढोयी हूँ मैं

रेखा जो खीची है तुमने दोनों के बीच
जीस्त भवरजाल में "ज्योति" डुबोई हूँ मैं

Saturday, May 21, 2011

अपने तस्सवुर में तुम्हे बसाये बैठे हैं

अपने तस्सवुर में तुम्हे बसाये बैठे हैं
तेरी याद को दिल से लगाये बैठे हैं

रुखसत हुए जब तुम मेरी जिन्दगी से
दास्ताने गम को दिल में छिपाए बैठे हैं

जिन्दगी की सहर लेके आया थे तुम
गमे हिज्र को अब जिन्दगी बनाये बैठे हैं

भटकती फिर रही हूँ उजड़े दयार में
तेरे प्यार को अपना बनाये बैठे हैं

सिला यही मिला सच्चे प्यार का मेरे
"ज्योति" मौत को गले लगाये बैठे हैं

Friday, May 20, 2011

इंसानियत


जिन्दगी चलते चलते
यूं रुक गई
थम गया वक़्त
आसमां जैसे रो पड़ा
धरती का सीना चाक
हो गया
एक व्यक्ति पड़ा
सड़क पे
तड़प रहा
खून से लथपथ
जिन्दगी -मौत से
लड़ रहा
कितने लोग निकले
वहां से
न जाने और कितने
निकलेंगे
किसी को दया नहीं आई
किसी का दिल नहीं
पसीजा
इतना पत्थर दिल
कब से हो गया
इंसान
अब वहां शान्ति
व्याप्त है
क्यूंकि वो
तडप चिल्लाना
सब समाप्त
हो गया
क्योंकि वो व्याक्ति
चिरनिद्रा में
सो गया
अब यहाँ
और इंसानियत भी जैसे
सो गई
उस व्यक्ति के साथ

jyoti dang

Monday, May 16, 2011

जिन्दगी से सीखी बातें

1चापलूसी दोस्ती को दीमक की तरह चाट जाती है चापलूस दोस्त नहीं दुश्मन होते हैं इनसे सावधान रहो


2जिन्दगी ऐसी किताब है जो हर पल हमें अच्छे- बुरे का बौध कराती है 


3जो झूठ किसी बेक़सूर की जिन्दगी बचाये वो सच्च से बड़ा , जो सच्च किसी बेक़सूर की जिन्दगी नरक बना दे वो सब से बड़ा झूठ होता है . 


4जिन्दगी में सभी को खुश नहीं रख सकते खुद को उदास करके किसी और को ख़ुशी नहीं दी जा सकती खुद को खुश रखना सीखिए और दूसरों को भी जीने दीजिये


5माँ संसार का सब से ख़ूबसूरत रिश्ता है कहते हैं परमात्मा कण कण में बिराजमान है किन्तु परमात्मा सभी जगह नहीं पहुँच सकता इसी लिए उसने माँ बनाई आज 
6मेरा सब से अच्छा दोस्त खुदा ,और मेरी माँ मेरा खुदा 

7कुछ लोग रिश्ते ढोते हैं, कुछ निभाते हैं. मैं रिश्तों को दिल से जीती हूँ

8हताशा इंसान को गर्त में धकेल देती है जिन्दगी से हताश इंसान ही आत्महत्या करते हैं

9अच्छा , बुरा इंसान कर्मों से बनता है और कर्म करना ही हमारे हाथ में है क्यूँ इंसान बुरे कार्यों में लिप्त रहता है अच्छे कर्म क्यूँ नहीं करता

10प्यार जिन्दगी का ख़ूबसूरत अहसास है प्यार आत्मा से शुरू होता है दिल में निवास करता है 

11इंसान ऐसा प्राणी है जिसको परमात्मा ने दिमाग दिया तभी तो वो अन्य जीवों से श्रेष्ठ कहलाया 

12हमारी जिन्दगी हमारे कर्मों से बनती है और कर्म हमारा भाग्य लिखते हैं

13खुदा से वही जिन्दगी मांगो जो किसी के काम आ सके वो नहीं जो किसी को बर्बाद कर दे 

14ख्वाब देंखेंगे तभी उन्हें पूरा करेंगे

15आधुनिकता समय के बदलाव को महसूस करना और उसे अपनाना , को कहते हैं 

16आज भी हमारा समाज दोगलेपन का शिकार है एक तरफ हम 'celebrities ' जो किस्सिंग सीन या टॉप लेस होती हैं या nude  उनको देख के खुश होते हैं और दूसरी तरफ हम कॉल गिर्ल्स और वेश्याओं को हिकारत की नज़र से देखते हैं क्यूँ होता है ऐसा  

Tuesday, May 3, 2011

अपने घर की नारी, नारी दूसरे की है तो बेचारी


चैरी और मोनिका दोनों बाज़ार में खड़ी बातें कर रही थी .
साथ ही खिलखिला रही थी .एक गोलगप्पे की रेहड़ी देखी
तो वहीँ रुक गई। 

वो दोनों रेहड़ी वाले को बोली,भईया,गोलगप्पे खिला दो। हम दोनों को १० रुपये के

तो रेहड़ी वाला गोलगप्पे बना के उनको देता जा रहा था वो दोनों बड़े मज़े से खा रही थी .साथ साथ बातें भी कर रही थी और बीच-बीच में किसी बात पे मुस्कुरा भी पड़ती .
इतने में पास से शोर सुने दिया दोनों उसी दिशा की तरफ देखने लगी जिस तरफ से आवाज़ आ रही थी।

दोनों रेहड़ी वाले को पैसे देके गोलगप्पे खाके उसी तरफ बढ़ गई यहाँ से
ऊँची -ऊँची आवाजें आ रही थी।

अब तक वहां काफी भीड़ जुट गई थी.चैरी और मोनिका भी उस भीड़ में
शामिल हो गई और आस पास लोगों से पूछने लगी,क्या हुआ?
तो एक आदमी बोला, कि कोई मनचला है,जिसने किसी लड़की को छेडा
और उस लड़की ने उस लड़के कि खूब धुनाई की है।

अब भीड़ में कुछ लोग उस लड़की के साथ थे और लड़के की खूब छितरौल
कर रहे थे .चैरी और मोनिका उत्सुकतावस आगे बढ़ी ये देखने के लिए कि
वो बहादुर लड़की कौन है? जिसने ये साहसिक कदम उठाया।

दोनों सखियाँ (चैरी और मोनिका )जब देखती हैं उस लड़की और उस मनचले
को तो चैरी लड़के को देखते ही अवाक रह जाती है इतने में मोनिका बोलती है
"यार ये लड़का तेरा तुम्हारा भाई रोहित है ना।

मोनिका व्यंग से चैरी को बोली "वाह यार" तुम्हारा भाई भी कैसा दोगला है ,
उस दिन जब कुछ गुंडों ने तुम्हारा दुपट्टा खींचा था और तुम्हे छेडा था तो रोहित
ने कैसे उनकी धुनाई की थी ,आज खुद ऐसा काम करते उसे शर्म नहीं आई , क्या वो
किसी की बेटी , बहन नहीं ?वाह रे आदम जात अपने घर की नारी, नारी दूसरे की है
तो बेचारी।

इतना कहके मोनिका वहां से चली जाती है .चैरी मोनिका की बातें सुनके पानी-पानी हो
जाती है और अपने भाई के इस कुकर्म पे बेहद शर्मिंदा होती है। 

Monday, May 2, 2011

तुम न मिले

खुशियाँ मुझे तमां मिली पर तुम न मिले ।
मिलने को फकत बहार मिली पर तुम ना मिले ।।    

करते रहे हम जिन्दगी में तौबा नकाब से, 
पर्दानशीं भी आज हुई पर तुम न मिले ।।  
 
दर दर पे भटकती रही उम्रे सफ़र में, 
मिलने को मौत आज मिली पर तुम न मिले ।।   

यूँ ही भटकती रही मैं उजालों की तलाश में,  
तन्हाँ ये दुनिया आज मिली पर तुम न मिले।।   

टूटने को टूट गये ख्वाब भी आये जो रातों को ,
सुबह आंसुओं की बरसात हुई पर तुम ना मिले ।।   

मैंने तो तेरे इंतज़ार में जलाए वर्षों दीये, 
"ज्योति" भी संग जल गयी पर तुम न मिले।