जिन्दगी चलते चलते
यूं रुक गई
थम गया वक़्त
आसमां जैसे रो पड़ा
धरती का सीना चाक
हो गया
एक व्यक्ति पड़ा
सड़क पे
तड़प रहा
खून से लथपथ
जिन्दगी -मौत से
लड़ रहा
कितने लोग निकले
वहां से
न जाने और कितने
निकलेंगे
किसी को दया नहीं आई
किसी का दिल नहीं
पसीजा
इतना पत्थर दिल
कब से हो गया
इंसान
अब वहां शान्ति
व्याप्त है
क्यूंकि वो
तडप चिल्लाना
सब समाप्त
हो गया
क्योंकि वो व्याक्ति
चिरनिद्रा में
सो गया
अब यहाँ
और इंसानियत भी जैसे
सो गई
उस व्यक्ति के साथ
jyoti dang
यूं रुक गई
थम गया वक़्त
आसमां जैसे रो पड़ा
धरती का सीना चाक
हो गया
एक व्यक्ति पड़ा
सड़क पे
तड़प रहा
खून से लथपथ
जिन्दगी -मौत से
लड़ रहा
कितने लोग निकले
वहां से
न जाने और कितने
निकलेंगे
किसी को दया नहीं आई
किसी का दिल नहीं
पसीजा
इतना पत्थर दिल
कब से हो गया
इंसान
अब वहां शान्ति
व्याप्त है
क्यूंकि वो
तडप चिल्लाना
सब समाप्त
हो गया
क्योंकि वो व्याक्ति
चिरनिद्रा में
सो गया
अब यहाँ
और इंसानियत भी जैसे
सो गई
उस व्यक्ति के साथ
jyoti dang
dil ko jhakjhorti rachna..
ReplyDeletebilkul sach..
इंसानियत भी जैसे
ReplyDeleteसो गई
उस व्यक्ति के साथ
sach me aisa hi hota hai........
क्योंकि वो व्याक्ति
ReplyDeleteचिरनिद्रा में
सो गया
अब यहाँ
और इंसानियत भी जैसे
सो गई
उस व्यक्ति के साथ
गहन अनुभूतियों की मार्मिक अभिव्यक्ति ...
Apki is rachna se kuch yaad aaya mujhe. .
ReplyDeleteDekho aaj bharat me kya ho gya, jaag gya saitaan insaan so gya..
Jai hind jai bharat
क्योंकि वो व्याक्ति
ReplyDeleteचिरनिद्रा में
सो गया
अब यहाँ
और इंसानियत भी जैसे
सो गई
उस व्यक्ति के साथ
didi bahut sacche vishay par aapne likha hai....
वाह... बहुत खूब... बहुत ही गहराई का साथ लिखा है!
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