शीतल बच्चों को सुला के दुसरे कमरे में चली
गई और टी .वी , चालू किया .टी. वी. देखने में उसका मन नहीं लग रहा था
.बार बार टी .वी .के चैनल बदल रही थी.दिवार घडी की तरफ देखा तो रात के दस
बज रहे थे,टी.वी. देखते -देखते उसे झपकी आ गई . अचानक दरवाजे पर घंटी
बजी,वो हडबडा के उठी और दरवाज़ा खोलने बाहर भागी देखा तो दरवाज़े पर रमेश
था,उसका पति.उसने देखा रमेश आज भी रोज़ की तरह दारु पी कर आया था,रमेश
लड़खड़ाता हुआ कार से बाहर निकला और घर के भीतर जाने लगा थोड़ी दूर जाते ही
गिरने लगा तो शीतल ने लपक के पकड़ा और अपने कंधे का सहारा दिया तो रमेश छिटक
के दूर हो गया और शीतल को गालियाँ बकने लगा,शीतल बेचारी चुपचाप सुनती
रही,खीज के रमेश ने और जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया तो शीतल बोली "प्लीज़
चुप हो जाइये, बच्चे सो रहे हैं,"उठ जायेंगे"
इतनी बात सुनते ही रमेश ने तडाक से एक चांटा रसीद कर दिया,शीतल के गाल पे . शीतल बेचारी सिसकने लगी।
रमेश का ये रोज़ का काम हो गया था,शराब में धुत होके आना और शीतल को गालियाँ बकना और उसकी पिटाई करना।
विदुषी
,शीतल की छोटी बहन, जो ये सारा तमाशा देख रही थी , बहुत दुखी हुई और
चुपचाप जाके बच्चों के कमरे में जा के लेट गई ,सोचने लगी "दीदी ये सब क्यूँ
सहती हैं मैं होती तो रमेश को तीर की तरह सीधा कर देती, बेचारी दीदी कितनी
भोली है .जब से उनका विवाह हुआ है , एक दिन भी चैन की सांस नहीं ली .पिछले
१० सालों से वो रमेश जीजा जी की ज्यादती सहती आ रही हैं,क्यूँ नहीं वो इन
सब का विरोध करती ?
इतने में शीतल कमरे में आती है तो विदुषी शीतल को बोलती है "दीदी" आप ये सब क्यों सहती हो?
शीतल कुछ नहीं बोलती चुपचाप आँखों के कोर से ढलक आये आंसुओं को पोंछ के बच्चों को प्यार करके कमरे में सोने चली जाती है।
दो दिन पश्चात शीतल और विदुषी आपस में बातें कर रही थी और बच्चे साथ वाले कमरे में खेल रहे थे।
बच्चे कमरे में आये और शीतल से बोले,माँ, भूख लगी है खाना दे दो।
शीतल
रसोई में गई और बच्चों को खाना बना के दे दिया इतने में कार का हार्न
सुनाई दिया,विदुषी ने कहा दीदी,आज जीजा जी जल्दी घर आ गये लगता है अचानक
रमेश शीतल के सामने खड़ा था आज उसने दारू भी नहीं पी हुई थी .वो अच्छे मूड
में था . आते ही बोला,चल शीतल उठ खाना लगा,आज मिलके खायेंगे,और उसने एक
पैकेट शीतल को पकडाया।
और बोला : देख ये तेरे लिए तोहफा है खोल इसे कैसा है?
शीतल ने पैकेट खोला तो उस में बहुत ही कीमती साडी थी . ये देखते ही शीतल का चेहरा खिल उठा।
रमेश बोला जल्दी कर आज मेरा बहुत मूड है तुझे प्यार करने को ।
जल्दी से खाना बनाके कमरे में आ जा इतना कहके रमेश अपने कमरे में चला गया..
विदुषी
ये सब देख, सुन के अवाक् रह गई इतने में शीतल उसके पास आई और बोली
"विदुषी" आज बच्चों को तू सुला दे,ये बहुत मूड में हैं,इतना सुनते ही
विदुषी का पारा सातवें आसमान पर था वो गुस्से में बोली दीदी, आप से तो
बाजारू औरत अच्छी है क्या? आप का आत्म-सम्मान मर चुका है,जब दिल हुआ जीजा
जी का तो पीट लिया , गालियाँ बक दी और जब जरूरत पड़ी,तन की भूख मिटने के लिए
तो आपको तोहफा देके प्यार भरी बातें कर ली और एक आप हैं उनकी इन चिकनी
चुपड़ी बातों में आ जाती हैं क्यों दीदी क्यों ?आप उनकी पत्नी हो कोई घर
में रखा पालतू जानवर नहीं,जिसको जब दिल हुआ पुचकार लिया, जब दिल हुआ पीट के
एक खूंटे से बाँध दिया इतना कहते ही विदुषी बच्चों के कमरे में चली गई और
शीतल वहीँ खड़ी रह गई कुछ सोचने को मजबूर?
गई और टी .वी , चालू किया .टी. वी. देखने में उसका मन नहीं लग रहा था
.बार बार टी .वी .के चैनल बदल रही थी.दिवार घडी की तरफ देखा तो रात के दस
बज रहे थे,टी.वी. देखते -देखते उसे झपकी आ गई . अचानक दरवाजे पर घंटी
बजी,वो हडबडा के उठी और दरवाज़ा खोलने बाहर भागी देखा तो दरवाज़े पर रमेश
था,उसका पति.उसने देखा रमेश आज भी रोज़ की तरह दारु पी कर आया था,रमेश
लड़खड़ाता हुआ कार से बाहर निकला और घर के भीतर जाने लगा थोड़ी दूर जाते ही
गिरने लगा तो शीतल ने लपक के पकड़ा और अपने कंधे का सहारा दिया तो रमेश छिटक
के दूर हो गया और शीतल को गालियाँ बकने लगा,शीतल बेचारी चुपचाप सुनती
रही,खीज के रमेश ने और जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया तो शीतल बोली "प्लीज़
चुप हो जाइये, बच्चे सो रहे हैं,"उठ जायेंगे"
इतनी बात सुनते ही रमेश ने तडाक से एक चांटा रसीद कर दिया,शीतल के गाल पे . शीतल बेचारी सिसकने लगी।
रमेश का ये रोज़ का काम हो गया था,शराब में धुत होके आना और शीतल को गालियाँ बकना और उसकी पिटाई करना।
विदुषी
,शीतल की छोटी बहन, जो ये सारा तमाशा देख रही थी , बहुत दुखी हुई और
चुपचाप जाके बच्चों के कमरे में जा के लेट गई ,सोचने लगी "दीदी ये सब क्यूँ
सहती हैं मैं होती तो रमेश को तीर की तरह सीधा कर देती, बेचारी दीदी कितनी
भोली है .जब से उनका विवाह हुआ है , एक दिन भी चैन की सांस नहीं ली .पिछले
१० सालों से वो रमेश जीजा जी की ज्यादती सहती आ रही हैं,क्यूँ नहीं वो इन
सब का विरोध करती ?
इतने में शीतल कमरे में आती है तो विदुषी शीतल को बोलती है "दीदी" आप ये सब क्यों सहती हो?
शीतल कुछ नहीं बोलती चुपचाप आँखों के कोर से ढलक आये आंसुओं को पोंछ के बच्चों को प्यार करके कमरे में सोने चली जाती है।
दो दिन पश्चात शीतल और विदुषी आपस में बातें कर रही थी और बच्चे साथ वाले कमरे में खेल रहे थे।
बच्चे कमरे में आये और शीतल से बोले,माँ, भूख लगी है खाना दे दो।
शीतल
रसोई में गई और बच्चों को खाना बना के दे दिया इतने में कार का हार्न
सुनाई दिया,विदुषी ने कहा दीदी,आज जीजा जी जल्दी घर आ गये लगता है अचानक
रमेश शीतल के सामने खड़ा था आज उसने दारू भी नहीं पी हुई थी .वो अच्छे मूड
में था . आते ही बोला,चल शीतल उठ खाना लगा,आज मिलके खायेंगे,और उसने एक
पैकेट शीतल को पकडाया।
और बोला : देख ये तेरे लिए तोहफा है खोल इसे कैसा है?
शीतल ने पैकेट खोला तो उस में बहुत ही कीमती साडी थी . ये देखते ही शीतल का चेहरा खिल उठा।
रमेश बोला जल्दी कर आज मेरा बहुत मूड है तुझे प्यार करने को ।
जल्दी से खाना बनाके कमरे में आ जा इतना कहके रमेश अपने कमरे में चला गया..
विदुषी
ये सब देख, सुन के अवाक् रह गई इतने में शीतल उसके पास आई और बोली
"विदुषी" आज बच्चों को तू सुला दे,ये बहुत मूड में हैं,इतना सुनते ही
विदुषी का पारा सातवें आसमान पर था वो गुस्से में बोली दीदी, आप से तो
बाजारू औरत अच्छी है क्या? आप का आत्म-सम्मान मर चुका है,जब दिल हुआ जीजा
जी का तो पीट लिया , गालियाँ बक दी और जब जरूरत पड़ी,तन की भूख मिटने के लिए
तो आपको तोहफा देके प्यार भरी बातें कर ली और एक आप हैं उनकी इन चिकनी
चुपड़ी बातों में आ जाती हैं क्यों दीदी क्यों ?आप उनकी पत्नी हो कोई घर
में रखा पालतू जानवर नहीं,जिसको जब दिल हुआ पुचकार लिया, जब दिल हुआ पीट के
एक खूंटे से बाँध दिया इतना कहते ही विदुषी बच्चों के कमरे में चली गई और
शीतल वहीँ खड़ी रह गई कुछ सोचने को मजबूर?