खुशियाँ मुझे तमां मिली पर तुम न मिले ।
मिलने को फकत बहार मिली पर तुम ना मिले ।।
करते रहे हम जिन्दगी में तौबा नकाब से,
पर्दानशीं भी आज हुई पर तुम न मिले ।।
दर दर पे भटकती रही उम्रे सफ़र में,
मिलने को मौत आज मिली पर तुम न मिले ।।
यूँ ही भटकती रही मैं उजालों की तलाश में,
तन्हाँ ये दुनिया आज मिली पर तुम न मिले।।
टूटने को टूट गये ख्वाब भी आये जो रातों को ,
सुबह आंसुओं की बरसात हुई पर तुम ना मिले ।।
मैंने तो तेरे इंतज़ार में जलाए वर्षों दीये,
"ज्योति" भी संग जल गयी पर तुम न मिले।
मिलने को फकत बहार मिली पर तुम ना मिले ।।
करते रहे हम जिन्दगी में तौबा नकाब से,
पर्दानशीं भी आज हुई पर तुम न मिले ।।
दर दर पे भटकती रही उम्रे सफ़र में,
मिलने को मौत आज मिली पर तुम न मिले ।।
यूँ ही भटकती रही मैं उजालों की तलाश में,
तन्हाँ ये दुनिया आज मिली पर तुम न मिले।।
टूटने को टूट गये ख्वाब भी आये जो रातों को ,
सुबह आंसुओं की बरसात हुई पर तुम ना मिले ।।
मैंने तो तेरे इंतज़ार में जलाए वर्षों दीये,
"ज्योति" भी संग जल गयी पर तुम न मिले।
har pankti bahut acchi hai....bahut sunder ghazal
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