Saturday, May 21, 2011

अपने तस्सवुर में तुम्हे बसाये बैठे हैं

अपने तस्सवुर में तुम्हे बसाये बैठे हैं
तेरी याद को दिल से लगाये बैठे हैं

रुखसत हुए जब तुम मेरी जिन्दगी से
दास्ताने गम को दिल में छिपाए बैठे हैं

जिन्दगी की सहर लेके आया थे तुम
गमे हिज्र को अब जिन्दगी बनाये बैठे हैं

भटकती फिर रही हूँ उजड़े दयार में
तेरे प्यार को अपना बनाये बैठे हैं

सिला यही मिला सच्चे प्यार का मेरे
"ज्योति" मौत को गले लगाये बैठे हैं

2 comments:

  1. Dil ke dard ko byan karti ek khubsurat gajal..
    Jai hind jai bharat

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  2. दिल के दर्द को बहुत खूबसूरती से उकेरा है इस गजल में| धन्यवाद|

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