है पता वो वफ़ा नहीं करते !
फिर भी हम तो गिला नहीं करते !!
जी में आये तो मिलने आ जाना !
जाओ हम इल्तजा नहीं करते !!
जिस को रस्ते में छोड़ देना हो !
शुरू वो सिलसिला नहीं करते !
जिन को हम रूह से प्यार करते हैं !
वो भी हम से वफ़ा नहीं करते !!
मेरे ठाकुर बड़े दयालु हैं !
वो किसी का बुरा नहीं करते !
जान देते हैं जो वतन के लिए !
वो कभी भी मरा नहीं करते !!
गम की गूंजे जहां पे शेहनाई !
हम वहाँ पर रुका नहीं करते!!
वो जो दिल की जुबां नहीं रखते !
हम तो उन से मिला नहीं करते !!
वो जो जलते हैं याद में " ज्योति "
वो चिरागां बुझा नहीं करते !!
अच्छे व प्यारे शब्द।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeletesundar gazal...
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