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Tuesday, January 11, 2011

हिन्दी कविता और हम: बिखरे पन्ने

हिन्दी कविता और हम: बिखरे पन्ने
Posted by bhavnayen at 7:07 PM
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ludhiana, punjab, India
About ज्योति ..... मैं एक गृहणी हूँ. जिन्दगी में सदैव खुश रहती हूँ .अपने बच्चों को अपनी जिन्दगी मानती हूँ .परमात्मा मेरा सब से अच्छा दोस्त है.माँ का रिश्ता सबसे अनमोल और पवित्र है . मेरी माँ मेरे लिए खुदा से बडके है. उन जैसी माँ दुनिया में बहुत कम होंगी .वो एक देवी हैं . अगले जन्म वही मेरी माँ बने ,यही इच्छा ,परमात्मा से मांगती हूँ .पति पत्नी एक दुसरे के पूरक होते हैं .मेरे पति देव मेरे दोस्त हैं मैं जिन्दगी के हर रिश्ते को दोस्ती के धागे में पिरोके रखती हूँ.दुनिया में सब से पहले परमात्मा है जिसने मुझे इंसान के रूप में आने का अवसर दिया फिर मेरी माँ , जिन्होंने मुझे जन्म देके इस दुनिया को देखने का अवसरदिया , उसके पश्चात् मेरे बच्चे हैं , जिनको जन्म देके मैं माँ जैसे खूबसूरत रिश्ते से जुडी माँ और बच्चे का दुनिया का सबसे खुबसूरत रिश्ता होता है . मैं रानी झांसी के असूलों को मानती हूँ . भगत सिंह , सुभाष चन्द्र बोसे जैसे लोग मेरे आदर्श हैं दोस्ती का रिश्ता अनमोल होता है अच्छे दोस्त बहुत मुश्किल से और किस्मत वालों को मिलते हैं .सच्चा और अच्छा दोस्त वही जो मुसीबत में काम आये. यह दुनिया स्वर्ग बने , यही दुआ है उस खुदा से .
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