बोलता हर कोई
क्या मुझे मिला
देश ने क्या दिया
नेताओं ने देश का
बेडा गर्क किया
सोचा कभी हमने
क्या देश के लिए
किया
क्या कुछ भी दे पाये
देश को ?
खोये रहे खुद को
पाने के लिए
खुद की पहचान
बनाने के लिए
कोई ऐसा काम
किया
क्या शहीदों को कभी
याद किया ?
क्या कभी खुद से आँख
मिला पाओगे ?
क्या देश को क्या सम्मान
दिला पाओगे ?
लड़ते रहते हैं
अपने स्वार्थ खातिर
देश को बाँटने खातिर
क्यों ?
आओ मिल कर
एक कसम खायें
गरीबी ,भुखमरी
भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी
से देश को मुक्त करायेंगे
अपना एक मुकाम
बनायेंगे |
क्या मुझे मिला
देश ने क्या दिया
नेताओं ने देश का
बेडा गर्क किया
सोचा कभी हमने
क्या देश के लिए
किया
क्या कुछ भी दे पाये
देश को ?
खोये रहे खुद को
पाने के लिए
खुद की पहचान
बनाने के लिए
कोई ऐसा काम
किया
क्या शहीदों को कभी
याद किया ?
क्या कभी खुद से आँख
मिला पाओगे ?
क्या देश को क्या सम्मान
दिला पाओगे ?
लड़ते रहते हैं
अपने स्वार्थ खातिर
देश को बाँटने खातिर
क्यों ?
आओ मिल कर
एक कसम खायें
गरीबी ,भुखमरी
भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी
से देश को मुक्त करायेंगे
अपना एक मुकाम
बनायेंगे |
आप को इस कविता के लिए शुभ कामनाएं
ReplyDeleteदेशभक्ति से ओतप्रोत और जगाने वाली रचना. बहुत सुन्दर प्रयास.
ReplyDeletewell said..........
ReplyDeleteBāt hameshā ghūm fir ke vahīṃ pe ā jātī he:
ReplyDeleteAgar āpne apne bacoṃ ko dūsroṃ kā bhalā karnā nahī sikhāyā to āp ek ace samāj ki kalpanā nahī kar sakte.
सटीक आवाहन ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteword verification hatayen
aap sabhi logon ka tahe dil se shukria jo meri rachna ko pasand kiya aap jaise gunijanone
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...यह आशावादिता बनी रहे.....
ReplyDeleteआपका आक्रोश, आपका आवाहन दोनों अच्छे हैं... शुभकामनाएं..
ReplyDelete