Wednesday, January 26, 2011

किताब


तू है एक किताब
तुझ मे रहती दुनिया की 
जानकारी बेहिसाब
कभी तू हंसा जाती
कभी रुला जाती
बिखरे पलों को भी समेटे
 रहती
गमों की परछाईयाँ कभी तुझ मे
 दिखाई पड़ती
किसी की तू जीवनी बन जाती
कभी शेर-ओ- शायरी बतलाती
कभी कवितायों की पोटली बन 
जाती
कभी चुटकलों से लोटपोट कर
 जाती
कभी परमात्मा के भी दर्शन
 कराती
कभी तू सितारा-शनास भी बन
 जाती
कभी इंसानियत का पाठ पढ़ाती
किसी के फुरस्त के पलों की साथी
 बन जाती
दुनिया के साथी साथ छोड़ जाते
तू साथ निभाती
कितनी संज्ञांये दूं तुझे
तेरे नाम भी तो हैं बेहिसाब

1 comment:

  1. kittab ke kitne roop hote hain aur kitaab jeevan men kya role play kar sakti hai, aapne is kavita men bahut sundar dhang se dikhaya hai. shubhkamnayen.

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