उकेर कर चित्र केनवास पे छोड़ गया
अजीब चित्रकार था बे-रंग छोड़ गया
सजा जो मुझको मिली नाकाफी ही रही
राह का पत्थर था वो राह में छोड़ गया
गुमान था मुझे,वो संग दिल सा नही
जिन्दगी के मोड़ पे वो दिल तोड़ गया
लिखी जो किताब प्यार के हर्फ मिले
स्याह न था वो,स्याह कर छोड़ गया
दर्द जब भी मिला मुझसे मैं हँस के मिली
आज वो हँस के मिला तो दर्द छोड़ गया
वो था सूरज,चमकता रहा तेज़ धूप बनके
आज मुझसे से मिला तो छाँव छोड़ गया
मैं जिन्दगी के राज़ कभी भी कह न सकी
लिख राज़ दिल के वो ग़ज़ल में छोड़ गया
वो जब भी जला तो दीप बन जलता रहा
आज ऐसा जला कि "ज्योति" छोड़ गया
अजीब चित्रकार था बे-रंग छोड़ गया
सजा जो मुझको मिली नाकाफी ही रही
राह का पत्थर था वो राह में छोड़ गया
गुमान था मुझे,वो संग दिल सा नही
जिन्दगी के मोड़ पे वो दिल तोड़ गया
लिखी जो किताब प्यार के हर्फ मिले
स्याह न था वो,स्याह कर छोड़ गया
दर्द जब भी मिला मुझसे मैं हँस के मिली
आज वो हँस के मिला तो दर्द छोड़ गया
वो था सूरज,चमकता रहा तेज़ धूप बनके
आज मुझसे से मिला तो छाँव छोड़ गया
मैं जिन्दगी के राज़ कभी भी कह न सकी
लिख राज़ दिल के वो ग़ज़ल में छोड़ गया
वो जब भी जला तो दीप बन जलता रहा
आज ऐसा जला कि "ज्योति" छोड़ गया
hi
बहुत बहुत सुंदर - लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाई तथा नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteज्योति जी, सुंदर ग़ज़ल... मन को छू गयी.
ReplyDeleteबचपन क़ी तस्वीर