प्याज काटो
तो रुलाता है
बड़े बड़ों को
आँखें दिखाता है
दुलहन कैसी
भी हो चलेगी
प्याज बिन
अब ना ये जिन्दगी निभेगी
प्रेमी बोलें,
जानेबहार !
अब मुझे कुछ भाता नही है
प्याज के सिवा
अब कुछ रास आता नही
अब तो तेरे भाव भी
जमीन पे नही पाए जाते है
आँखों के
आंसू भी
तेरी याद में छलकाए नही जाते
अब लड़की
हर लड़के से
यही बोले
प्यार उसी से
जो उसे प्याज के तोहफे में तोले
पत्नी के
मुख में अब ना रही है
लगाम
अब पति देव
तुझे नही प्याज को है
"सलाम"
अब वही दोस्त है
अपना
जो दिखाए
प्याज का देने का
सपना
अब नेताओं के भाषण में प्याज नज़र आने लगा है
चुनाव चिन्ह प्याज होने का जुगत नेता लगाने लगा है
"हे प्याज देवता" तू तो राजाओं की तरह सज रहा है
तेरे चक्कर में बहुतों का बाजा जोरों से बज रहा है ||
अच्छी कविता है .सुन्दर कटाक्ष
ReplyDeleteer satyam shivam ji aapko meri rachna pasand ayi shukria kintu aapne kaha jo ki yeh
ReplyDeleteपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
to mujhe kaise ana hoga samjhi nahin segebob ji aapka bhi shukria
आपको चर्चा मंच पर आ अपने कामेंट द्वारा बताना होगा....कैसा लगा हमारा चर्चा आपको....तो कल आप जरुर आये
ReplyDeleteat http://charchamanch.uchcharan.com/
pyaz per bhi kavita likh lee.bahut achchi laga.
ReplyDeleteग़ज़ब का व्यग...सुन्दर कटाक्ष ....लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...
ReplyDelete:) :) अच्छा व्यंग
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
ये प्याज की माया भी अजब है ... कितनों को रुलाता है ...
ReplyDeleteअच्छा व्यंग है ...
Khoob vyang kiya hai, Jyotiji. mubarak ho.
ReplyDeleteलाजवाब व्यग...सुन्दर कटाक्ष ....,
ReplyDeleteसुन्दर लेखनी को आभार...
ha ha ha ha.....mazedaar
ReplyDeleteसामयिक परिपेक्ष्य में एक चपटा व्यंग.
ReplyDelete