जिन्दगी तू एक ख्यालात है जिन्दगी
ढले उम्र तो एक सवालात है जिन्दगी
पल खुशियों का हो या गम का मगर
बनाती अज़ाब के हालात है जिन्दगी
सितमगरों के नगर में जो ज़िंदा है
चंद क़दमों के निशानात है जिन्दगी
कभी शबे- बारात कभी शम्मे-रात बन
धूप-छावं की बरसात है जिन्दगी
जिसकी ताबीर होना मुश्किल यहाँ
जहां की आख़िरी बात है जिन्दगी
लम्हे गुज़ारे जब "ज्योति" तेरी कुर्बत में
कठपुतली सी करामात है जिन्दगी
ढले उम्र तो एक सवालात है जिन्दगी
पल खुशियों का हो या गम का मगर
बनाती अज़ाब के हालात है जिन्दगी
सितमगरों के नगर में जो ज़िंदा है
चंद क़दमों के निशानात है जिन्दगी
कभी शबे- बारात कभी शम्मे-रात बन
धूप-छावं की बरसात है जिन्दगी
जिसकी ताबीर होना मुश्किल यहाँ
जहां की आख़िरी बात है जिन्दगी
लम्हे गुज़ारे जब "ज्योति" तेरी कुर्बत में
कठपुतली सी करामात है जिन्दगी
बहुत ही बढ़िया ख्यालात.
ReplyDeleteअगर पहले शेर में से 'एक' शब्द हटा दें तो और भी अच्छा होगा .असल में ख्यालात और सवालात बहु वचन हैं.
कृपया अन्यथा मत लीजिएगा.
शेर बहुर अच्छा बन पडा है.
जिसकी ताबीर होना मुश्किल यहाँ
जहां की आख़िरी बात है जिन्दगी
सलाम.