रकीबों से हर शख्स जुदा मिलता है
ग़रीबों से हर वक़्त खुदा मिलता है
गमगुसार हैं जो गमगलत करते हैं
मयकदों में उनको भी खुदा मिलता है
आँख नम है दर्दे-गम जो ठहरा है
दीदारे-यार भी अंदाज़े-जुदा मिलता है
बदनामी रह गयी साथ में मेरे ए दिल
इश्क की राहों में ऐसा खुदा मिलता है
देख कर उनको ज्योति खुशगवार हो कैसे
अपनी पाकीजगी से जो जुदा मिलता है
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