Monday, March 14, 2011

मनुष्य आज इतना भौतिकवादी क्यों?



जीवों में मनुष्य ही ऐसा है जिसको परमात्मा ने दिमाग दिया है . जिसकी वजह से वो दूसरे जीवों से अलग है अच्छे बुरे का भेद ,रिश्तों की गर्माहट ,पवित्रता ,समाज को बनाना-बिगाड़ना सभी इसी दिमाग की वजह से है .आज हमारा समाज इतनी प्रगति कर रहा है कि हर इंसान में आगे निकलने की होड़ सी लगी हुई है .इसी आगे निकलने की होड़ के कारण इंसान अपने स्वार्थ में इतना अन्धा हो चुका है .उसको सब रिश्ते बेमानी से लगने लगे हैं,.पैसा ही आज भगवान् हो गया है।

आज वो पहले जैसा प्यार ,रिश्तों की गर्माहट .दूसरों का दुःख खुद का दुःख लगना,दूसरों की खुशिओं में खुश होना सब कहीं खो से गए हैं .आज जिसके पास पैसा है ,वो दूसरों को आपने पाँव की धूल समझता है,.पैसे के आगे इंसानियत मूल्य गौण हो गए हैं .यदि पैसा हो जिसके पास उसको लोग सर पे बिठाते हैं उस इंसान के सैंकड़ों दोस्त होंगे , जिसके पास पैसा ना हो उसको लोग टके के भाव भी नही पूछते।

आज सच्चा प्यार भी पैसा ही है .वो भावनाएं जज्बात सब लुप्त हो गए हैं .जिस व्यक्ति की जेब नोटों से भरी हो . एक बढ़िया सी गाडी हो ,आलिशान घर हो , बैंक बैलेंस हो , समझो प्यार उसी का है और पूरी दुनिया उसके क़दमों में होती है आज इंसान पैसे का इतना मुरीद हो गया है बहन भाई ,बेटे दोस्त तभी पूछेंगे आप कैसे हैं ?
जब आपकी जेब में पैसे होंगे ।
आज मनुष्य इतना ह्रदयविहीन वा भावनाए रहित कि पैसा ही उसके लिए भगवान् और पैसे से ही सभी रिश्ते जुड़े हैं इंसान आज इतना भौतिकवादी क्यों होगया है उसको अपने स्वार्थ के आगे कुछ नज़र ही नहीं आता क्या पैसा रिश्तों से , प्यार से ज्यादा बड़ा है .माना पैसे कि बिना जिन्दगी नहीं काटी जा सकती ,किन्तु पैसा सब कुछ तो नहीं. पैसे को हम रिश्तों के बीच क्यों लाते हैं .पैसे को हम अच्छे कार्य में लगायें ना कि रिश्तों को ठुकरा कर पैसा बनाए।

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