Saturday, March 12, 2011

आईना

मैंने देखा है तुझे आईने में अक्सर
भोला सा चेहरा आईने में अक्सर

जाना सा पहचाना सा है दीवाना सा
निहारा करता तू आईने में अक्सर

नज़र से नजर मिलाता घूँघट उठाता
हया में मुस्कराता आईने में अक्सर

रात की तीरगी में यादों के झरोखों से
कैसे आंसू बहाता आईने में अक्सर

आईने में मयस्सर हैं सैकड़ों दिल यहाँ
कैसे टूटता है आइना आईने में अक्सर

खामोश तुम भी हो "ज्योति" भी अक्सर
तस्वीर बदलती रही आईने में अक्सर

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