Wednesday, August 8, 2012

गुटखा

देखो जिधर भी दीवारों पर 
चित्र गंदे थूक के उभरे हैं 
गुटकापान खाने वालों ने 
अपने मुँह से सृजा हैं 

खुद बर्बाद किया तन को
अवसाद को खुद न्योता है 
अपनी कब्र का सामान 
अपने हाथों ही ब्योंता है 

केंसर का जनक है गुटखा
यह खाता रोज जवानी
भला हो बेचने वाले का
जो मौत बेचे जाता है

धीमा एक जहर है ये
जवानी को ये खाता है
जवानी गर्त में जाती है
वह तो माल बनाता है

लोग समझते नहीं है क्यूँ
खुद ही मौत बुलाते हैं
अपने हाथों खुद मानव क्यूँ
मौत के मुँह में जाता है

खाओ कसम न लोगे तुम
कोई भी तम्बाकू उत्पाद
नहीं करोगे जीवन से तुम
अपने कोई घातक उत्पात

जहर को न कहना सीखो
जिओ अपनी उम्र तुम पूरी
शतक लगाओ जीवन का
जियो बनकर फूल महकता jyoti dang

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