वो घूरते हैं ज़िस्मों को,
अपनी ऐनक चॅढी आँखों से!!
और घर में जाके बनते हैं,
बच्चों के आगे शरीफ इंसान!!
बस दाँत ही बाहर नहीं आते,
उनकी हवस की गनीमत है!!
वरना आँखों के रास्ते ही ,
वे पेबस्त होना चाहते हैं!!
काश कोई छड़ी होती ऐसी,
अपनी ऐनक चॅढी आँखों से!!
और घर में जाके बनते हैं,
बच्चों के आगे शरीफ इंसान!!
बस दाँत ही बाहर नहीं आते,
उनकी हवस की गनीमत है!!
वरना आँखों के रास्ते ही ,
वे पेबस्त होना चाहते हैं!!
काश कोई छड़ी होती ऐसी,
मैं इन्हें बना पाती औरत!!
तब पता लगता आदमी को,
कैसे चलती है औरत अब,
सिकोडकर इस दुनिया में!!
मगर ये शिकारी कुत्ते हैं,
गर्म गोश्त ही खाते हैं!!
नहीं मिलता,तब ये कुत्ते
घर में भी बाज नहीं आते!!
आख़िर औरत कब तक ,
बचाएगी अपना अस्तिवऔर घर!! j
तब पता लगता आदमी को,
कैसे चलती है औरत अब,
सिकोडकर इस दुनिया में!!
मगर ये शिकारी कुत्ते हैं,
गर्म गोश्त ही खाते हैं!!
नहीं मिलता,तब ये कुत्ते
घर में भी बाज नहीं आते!!
आख़िर औरत कब तक ,
बचाएगी अपना अस्तिवऔर घर!! j
well written .congr8s
ReplyDeleteJOIN THIS-WORLD WOMEN BLOGGERS ASSOCIATION [REAL EMPOWERMENT OF WOMAN
मगर ये शिकारी कुत्ते हैं,
ReplyDeleteगर्म गोश्त ही खाते हैं!!
नहीं मिलता,तब ये कुत्ते
घर में भी बाज नहीं आते!!
आख़िर औरत कब तक ,
बचाएगी अपना अस्तिवऔर घर!!
एक कडवी हकीकत को बयाँ करती प्रस्तुति दिल मे उतर गयी