Saturday, August 18, 2012

राजनीति और नेता

राजनीति के शीशे में छाया काला गहन अंधेरा है!!
यहाँ नहीं कुछ तेरा मतदाता जो सब है सो मेरा है!!

तुमने वोट देकर मुझको अपने सिर पर बैठाया है!!
अब मैं सिर पीटूँ या राग गढ़ूं सारा काम ये मेरा है!!

तुम जनता हों मैं शासक हूँ मेरा हुकुम बजाना है!!
मेरी थाली सजी रहे तुम्हे सूखे से काम चलाना है!!

जो मुझे जँचे वही सही, अब बाकी झूठ बहाना है!!
सोयूँ मखमल गद्दों पर,तुम्हे मिटटी सेज़ सजाना है!!

बस राजनीति के फेरे में तुम्हे एक बटन दबाना है!!
तुम क्या हो मैं क्या जानूं, तुम को ये समझना है!!

ये लोकतंत्र है भीड़ तंत्र मैने वोटों को खरीदा है!!
व्यपार है कोरा लोकतंत्र, भूखों को ये बतलाना है!!

भोपू सता का मेरे हाथ बस मेरा साथ निभाना है!!
मुझे देशधर्म से क्या लेना अपना साम्राज्य बढ़ाना है!!

तुम को जो उँचा कर दूँगा देकर मैं संबल अपना!!
ऐसा मूर्ख नेता मैं नहीं, अपना वर्चस्व बढ़ाना है!!

ये देश धर्म और आदमीयत, ये सब झूठी बातें हैं!!
लाशों पर ही चाहे हो मुझे अपना तख्त बिछाना है!!

1 comment:

  1. सार्थक और सामयिक पोस्ट.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की अनुकम्पा करें, आभारी होऊंगा .

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