Tuesday, August 28, 2012

अब तो मौत को भी मैं तेरे संग ही गले लगाऊंगी

मुहब्बत का जब दौर चलेगा तेरी आँखों में बस जाऊंगी!!
जब सामने न होउंगी मैं, तब तुम्हे याद बहुत.....आऊंगी 

तुम्हारी छाया हूँ मैं, कैसे भूल पाओगे तुम ये.........बात 
तुम जहाँ भी होगे प्रिय ! मैं संग तुम्हारे वहीँ चली ..आऊंगी 

मेरी हर धड़कन में बस तुम ही तुम हो और नहीं... कोई !!
आखरी साँस तक दिल में ही ... अपना मैं घर बसाऊँगी !!

मेरी हर आती जाती सांस पर अब हक्क है तुम्हें सौंपा !!
जिन्दगी का हर गीत प्रिये! अब मैं तेरे ही संग गाऊंगी !!

इतना दम नहीं इस दुनिया में प्रिय! छीन ले जो तुमको !!
अब तो मौत को भी मैं तेरे संग ही गले ......लगाऊंगी !!

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