तुमसे जुदा हो के खोई हूँ मैं
तभी ही सारी रात रोई हूँ मैं
कहने को तुमने कहा बेवफा मुझे
जो तुमने काटा वही तो बोयी हूँ मैं
तुम्हे चाहा तुम्हारी इबादत की मैंने
एक चुटकी में सिंदूर तेरी होई हूँ मैं
परिंदा बन तेरे संग उडू आसमानों में
ना जाने कितने ख़्वाबों को सजोयी हूँ मैं
तरसते रहे तेरी एक मुस्कराहट के लिए
ना जाने कितने ही गमों को ढोयी हूँ मैं
रेखा जो खीची है तुमने दोनों के बीच
जीस्त भवरजाल में "ज्योति" डुबोई हूँ मैं
MAM BAHUT HI KHUBSURAT RACHNA LIKHI HAI.. MAN KI PIDA OR JUDAI KA GAM....BEHTREEN
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT
jyoti ji.kiya bat hai ji.v/good.dil khush ho giya ji.
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