Monday, November 15, 2010

वो बचपन मासूम सा

वो बचपन मासूम सा
खिलखिलता सा, मुस्कुराता सा
लगता एक आदरणीय खुदा सा
निश्छल विश्वास सा
एक प्यारा स्वर्ग सा
किसने अधिकार दिया,
उस मासूम बचपन को
रोदने का ,खेलने का
कुछ बीमार मानसिकता वाले
शैतानी दिमाग़ वाले
डी पी ओ rathor, मंडल जैसे
लगते इन्सान,कर्मों से हैवान जैसे
अपनी कुत्सित हसरतों को पूरा करते
उस मासूम बचपन को मिटाते
उस खुदा की जन्नत को नरक बनाते
क्या सज़ा होनी चाहिए ऐसे लोगों की
आजीवन कारावास की,अथवा फाँसी की
यह सब सज़ाएं बहुत कम हैं
आज मेरी ये ऑंखें   नम हैं
उस रोते बचपन के लिए
उन टूटते मासूम सपनों के लिए
उन मारती मासूम बालिकाओं के लिए

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