Sunday, July 29, 2012

होली की आग

उसने मेरी आँखों में होली की आग जलाई है!!
अंग अंग रंगा है जैसे रंगोली तन से सजाई है!!

जवानी की उड़ती है चुनर घटाओं में लहराई है!!
इंद्रधनुष की छटा जैसे फ़िज़ाओं में ..लहराई है!!

6 comments:

  1. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-956 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  2. सुन्दर और भावपूर्ण |
    आशा

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  3. कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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