तू कहीं दूर है लेकिन तू कहीं दूर नहीं!!
आँखें मज़बूर सही दिल तो मज़बूर नहीं!!
तू मेरी साँसों में बसा है ऐ हमदम मेरे!!
पास दिल के है सदा तू कहीं दूर तो नहीं!!
तेरी पलकों में छिपी हूँ है ये मालूम तुझे!!
अक्स बन पाऊँ ना बनाना तुम अश्क़ नहीं!!
तेरे होंठों पे मेरा नाम बहुत सजता है प्रिय!!
मेरे दिल में तेरे नाम बिना कुछ भी नहीं!!
तू ही धड़कन तू ही है सोच मेरी हमदम!!
तेरे बिना मेरा जीना भी कोई जीना नहीं!!
मेरी ये उमर तेरी साँसों तलक ही रहे!!
तू मेरे साथ ना हों मौत भी मंजूर नहीं!!
behtreen aur khubsurat rachna....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व् सार्थक पोस्ट .आभार ''वन्देमातरम ''.मत कहना क्या कोई धर्म सिखाता है ?
ReplyDeleteबहुत गहरी प्रेम भारी भावनायें। बधाई।
ReplyDeleteकोमल भाव की हृदयस्पर्शी रचना..
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