आफिस में अक्सर बतियाती हैं
औरतें अपने घर के बारे में
साथ ही लती हैं अपना घर
वे भरकर अपने आँचल में
छोड़ आती हैं घर में पीछे
दूध पीते बच्चे आया के पास
सास ससुर बंद घरों में
किसी चौकीदार की तरह
रोज मरती हैं दफ्तरों में
खटती हैं अपने घरों में
दबत्ती हैं मेट्रो और बसों में
पहुँचती हैं दबी कुचली सी
फिर करती हैं चौका बासन
हो चूका है जीना हराम
अब नहीं है इन्हें आराम
ऐसे ही जीती हैं औरतें
औरतें अपने घर के बारे में
साथ ही लती हैं अपना घर
वे भरकर अपने आँचल में
छोड़ आती हैं घर में पीछे
दूध पीते बच्चे आया के पास
सास ससुर बंद घरों में
किसी चौकीदार की तरह
रोज मरती हैं दफ्तरों में
खटती हैं अपने घरों में
दबत्ती हैं मेट्रो और बसों में
पहुँचती हैं दबी कुचली सी
फिर करती हैं चौका बासन
हो चूका है जीना हराम
अब नहीं है इन्हें आराम
ऐसे ही जीती हैं औरतें
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