Tuesday, September 21, 2010

मेरी यादों में आज भी एक धुँधला सा साया है!!
ना जाने क्यूँ उसको याद करके यह दिल भर आया है!!
जब वो साया यादों से निकल कर जिन्दगी में समाया है!!
फिर से यह जिगर तड़पने लगया है!!
आँखें रोने लगी हैं!!
जिन्दगी जहन्नुम बनने लगी है!!
उसकी बेवफ़ाई जो याद आने लगी है!!
रातों की फुरसतों में!!
जिन्दगी के अकेलेपन में!!
वो उसकी मीठी और झूठी बातें!!
वो दाग-ए- हिज़्ज़!!
वो उसकी साज़िशें!!
सब मिलके मेरे अकेलेपन को!!
और बढ़ने लगा है!!
उसकी बेवफ़ाई को भूलने लगी थी!!
दुनिया की वाफाओं में!!
जिन्दगी की दूसरी खुशियों में!
वो साया फिर से क्यूँ याद आने लगा है!!
जिन्दगी को फिर से जहन्नुम बनाने लगा ह

No comments:

Post a Comment