Tuesday, July 5, 2011

याद

बात दिल की जुबां पे दबी रह गयी
जो हँसी थी तुम्हारी हँसी रह गयी

देखा तुमने जो नज़रे झुकाते हुए
आँख हिरनी की कैसी झुकी रह गयी

जब से गये तुम मायूस मैं बैठा रहा
रात पलकों में फिरसे जगी रह गयी

आईने के सामने अब मैं जाता नही
आँखों में जो तुम्हारे नमी रह गयी

तेरी आवाज़ को सुने ज़माना हुआ
लम्स था फिर क्या कमी रह गयी

3 comments:

  1. बात दिल की जुबां पे दबी रह गयी
    जो हँसी थी तुम्हारी हँसी रह गयी

    क्या कहने। बहुत सुंदर

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  2. बहुत सुन्दर भाव्।

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