बात दिल की जुबां पे दबी रह गयी
जो हँसी थी तुम्हारी हँसी रह गयी
देखा तुमने जो नज़रे झुकाते हुए
आँख हिरनी की कैसी झुकी रह गयी
जब से गये तुम मायूस मैं बैठा रहा
रात पलकों में फिरसे जगी रह गयी
आईने के सामने अब मैं जाता नही
आँखों में जो तुम्हारे नमी रह गयी
तेरी आवाज़ को सुने ज़माना हुआ
लम्स था फिर क्या कमी रह गयी
जो हँसी थी तुम्हारी हँसी रह गयी
देखा तुमने जो नज़रे झुकाते हुए
आँख हिरनी की कैसी झुकी रह गयी
जब से गये तुम मायूस मैं बैठा रहा
रात पलकों में फिरसे जगी रह गयी
आईने के सामने अब मैं जाता नही
आँखों में जो तुम्हारे नमी रह गयी
तेरी आवाज़ को सुने ज़माना हुआ
लम्स था फिर क्या कमी रह गयी
pyari yaad:)
ReplyDeleteबात दिल की जुबां पे दबी रह गयी
ReplyDeleteजो हँसी थी तुम्हारी हँसी रह गयी
क्या कहने। बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर भाव्।
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