मैंने कल सोचा अपने मौन में
ये साँस कैसे आती जाती है ?
क्यों नहीं भूल जाती आना
कैसे अनवरत ये आती जाती है
हर साँस से होता है नया जन्म
जिसने दी हैं साँस हमें सोचो
क्या कभी उसने भुलाया है हमें
हम जन्म से पहले याद करते थे
लटके थे जब माँ की गर्भाग्नी में
फिर आये हम दुनियां में तब
हम भूल गए अपने सरे वादे
और बना ली अपनी सोच से
अपनी एक अलग ही दुनियाँ
जब गिरे या हमें चोट लगी
याद आये हमें अपने कर्म
पढने लगे तब कोई धर्मग्रन्थ
लेकिन न चले उसकी याद के पथ
अब कहो साथ क्यों दे वो भला
हर कोई जानता है ये , है वह
परमात्मा मेरा अपने ही अन्दर
पर कोई मानता नहीं ये सच
इसलिए भटकता है वो बस
कैद अपनी सोच के दायरों में
काटता है जीने की अपनी सजा
और देता है दोष सिर्फ उसको
सौंप कर देखो तुम खुद को
हर कदम उसको दोस्त पाओगे
यही है जीने का सलीका सच्चा
आओ मेरे खुदा मैं साथ चलूँ
तेरे हाथ में हाथ देकर मैं
ये साँस कैसे आती जाती है ?
क्यों नहीं भूल जाती आना
कैसे अनवरत ये आती जाती है
हर साँस से होता है नया जन्म
जिसने दी हैं साँस हमें सोचो
क्या कभी उसने भुलाया है हमें
हम जन्म से पहले याद करते थे
लटके थे जब माँ की गर्भाग्नी में
फिर आये हम दुनियां में तब
हम भूल गए अपने सरे वादे
और बना ली अपनी सोच से
अपनी एक अलग ही दुनियाँ
जब गिरे या हमें चोट लगी
याद आये हमें अपने कर्म
पढने लगे तब कोई धर्मग्रन्थ
लेकिन न चले उसकी याद के पथ
अब कहो साथ क्यों दे वो भला
हर कोई जानता है ये , है वह
परमात्मा मेरा अपने ही अन्दर
पर कोई मानता नहीं ये सच
इसलिए भटकता है वो बस
कैद अपनी सोच के दायरों में
काटता है जीने की अपनी सजा
और देता है दोष सिर्फ उसको
सौंप कर देखो तुम खुद को
हर कदम उसको दोस्त पाओगे
यही है जीने का सलीका सच्चा
आओ मेरे खुदा मैं साथ चलूँ
तेरे हाथ में हाथ देकर मैं
सौंप कर देखो तुम खुद को
ReplyDeleteहर कदम उसको दोस्त पाओगे
यही है जीने का सलीका सच्चा
आओ मेरे खुदा मैं साथ चलूँ
तेरे हाथ में हाथ देकर मैं
....बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteजिस राह हम चल रहे हैं उसमें ‘उसका’ साथ देना बनता भी नहीं...
ReplyDeleteसुंदर रचना....
सादर।
वाह.............
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
अनु
--- सुन्दर सत्य..व द्वन्द्वों का कारण..
ReplyDeleteहर कोई जानता है ये , है वह
परमात्मा मेरा अपने ही अन्दर
पर कोई मानता नहीं ये सच
इसलिए भटकता है वो बस
हर साँस से होता है नया जन्म
ReplyDeleteजिसने दी हैं साँस हमें सोचो
क्या कभी उसने भुलाया है हमें
हम जन्म से पहले याद करते थे
बहुत सुंदर सार्थक सटीक रचना...बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई.....
आपका फालोवर बन गया हूँ,.आपभी बने मुझे हादिक खुशी होगी \,..
मेरे पोस्ट में स्वागत है आइये .....
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MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
एक निवेदन आप अपने कमेंट्स बाक्स से "वर्डवेरीफिकेसन" हटा ले,कमेंट्स देने में काफी परेशानी और समय बर्बाद होता है,इसके कारण आपको लोग कमेंट्स देने से कतराते,..आशा इस ओर ध्यान देगी,..आभार
सार्थक एवं सटीक भाव अभिव्यक्ति समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
ReplyDeletebahut achchhi prastuti....
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