अक्सर डरती हैं औरतें
धकेलती हैं खुद को दूर
वे खुद ही हटती हैं पीछे
लेकिन अब परवाह नहीं है
अब औरत ये जानती है
सिंहासन केवल पुरुष का नहीं
वह भी लड़ रही है लड़ाई
भयंकर और गंभीर लड़ाई
जीवन के सत्ता सिहांसन की
बचाने के लिए अपना अस्तित्व
अपनी ही कोख से जाने हुए
खूँखार कुत्तों के खिलाफ
धकेलती हैं खुद को दूर
वे खुद ही हटती हैं पीछे
लेकिन अब परवाह नहीं है
अब औरत ये जानती है
सिंहासन केवल पुरुष का नहीं
वह भी लड़ रही है लड़ाई
भयंकर और गंभीर लड़ाई
जीवन के सत्ता सिहांसन की
बचाने के लिए अपना अस्तित्व
अपनी ही कोख से जाने हुए
खूँखार कुत्तों के खिलाफ
इस ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .
वाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
उल्फ़त का असर देखेंगे!