सड़क किनारे खड़ा अकेला
देख रहा था एक पेड़ व्यथित
आये कुछ लोग आज
हाथ में लिए कुल्हाड़ियाँ
और किया कितने ही
पेड़ों को काट धरासाई
कुछ औरों को काटने की
हुई तैयारी गिनकर नंबर
आज पडोसी नंबर २२३ भी
कट के धरती पे गिर गया
देखूं तो मेरा नंबर क्या है?
कल मेरी भी बारी आयेगी
कुछ लोग आएंगे फिर से
लिए हाथों में कुल्हाड़ी
काट गिराएंगे मुझे भी
कल मेरा भी अंतिम
दिन हो सकता है
ये इंसान इतना कठोर
इतना निष्ठुर क्यूँ?
हरे भरे जंगलों को
काट बनाता रेतीले मैदान
अंधाधुंध विकास की चाह
में अँधा विनाश क्यूँ ?
पेड़ पौधे काट कर डालता
खुद अस्तित्व खतरे में क्यूँ?
अपने ही अस्तित्व को
बनाने के लिए इतिहास
कर रहा क्यूँ नियति संग
स्वयं का तू पागल परिहास
देख भविष्य तेरा हो रहा हूँ
मैं हरित भी आज उदास
आज हवा जहरीली होगी
शूल बनेंगे पात ...बाबरे
कभी दुःख में मेरे भी
तेरे गीले होंगे गात
चेत अभी समय बचा है
देख रहा था एक पेड़ व्यथित
आये कुछ लोग आज
हाथ में लिए कुल्हाड़ियाँ
और किया कितने ही
पेड़ों को काट धरासाई
कुछ औरों को काटने की
हुई तैयारी गिनकर नंबर
आज पडोसी नंबर २२३ भी
कट के धरती पे गिर गया
देखूं तो मेरा नंबर क्या है?
कल मेरी भी बारी आयेगी
कुछ लोग आएंगे फिर से
लिए हाथों में कुल्हाड़ी
काट गिराएंगे मुझे भी
कल मेरा भी अंतिम
दिन हो सकता है
ये इंसान इतना कठोर
इतना निष्ठुर क्यूँ?
हरे भरे जंगलों को
काट बनाता रेतीले मैदान
अंधाधुंध विकास की चाह
में अँधा विनाश क्यूँ ?
पेड़ पौधे काट कर डालता
खुद अस्तित्व खतरे में क्यूँ?
अपने ही अस्तित्व को
बनाने के लिए इतिहास
कर रहा क्यूँ नियति संग
स्वयं का तू पागल परिहास
देख भविष्य तेरा हो रहा हूँ
मैं हरित भी आज उदास
आज हवा जहरीली होगी
शूल बनेंगे पात ...बाबरे
कभी दुःख में मेरे भी
तेरे गीले होंगे गात
चेत अभी समय बचा है
पेड़ के माध्यम से पर्यावरण का सही से विश्लेषण किया ..
ReplyDeleteपर्यावरण संरक्षण का अच्छा संदेश दिया है आपने।
ReplyDelete-------------
स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाएँ।
कल 17/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
A suggestion-
ReplyDeletePlease inactive the word verification in comments as it takes more time of reader to publish a comment on your post.
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Regards.
सार्थक सन्देश देती रचना ..
ReplyDeleteकृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteइसे भी देखें-
ReplyDeleteएक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो
-चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कविता के माध्यम से पर्यावरण के संरक्षण हेतु अच्छा सन्देश संप्रेषित किया है ,आपने .
ReplyDeleteसटीक एवं सार्थक अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसारी सृष्टि से भिड़ा पेड फिर भी कट कर धरती पर गिरा पेड ....बहुत खूबसूरत रचना प्रकृति के प्रति प्यार को दर्शाती एक खूबसूरत रचना |
ReplyDeleteशब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..