Tuesday, June 28, 2011

अश्क हम पलकों में छिपा लेते

चरागे दिल जला लेते कैसी तुम ये बला लेते
करारे दिल नही मिलता तो हाल-ऐ-ग़म सुना लेते

दरारें पड़ गयी दिल में उन्हें कैसे मिटाऊं मैं
दिखाते नही हँसी चेहरा नकाबों में छुपा लेते

समेटे दर्द दिल ने आज चमन में बहार आई जब
कि तुम गुलाब सहज लेना हम कांटे छुपा लेते

बेवफा जिन्दगी तुझे प्यार निभाना न आया
वफ़ा जो करते तुम तो तुम्हे अपना बना लेते

हमारी मुहब्बत पे ऐतबार होता उन्हें गर जो
चाँद तारों पे अपना हम आशियाना बना लेते

मालूम होता कि तुम हो बस मेरे दिल की धड़कन
तो इस जालिम ज़माने से दुश्मनी भी निभा लेते

मुख यूं न मोड़ते आँखें यूं न फेर लेते "ऐ ज्योति"
बहाते यूँ न अश्क हम पलकों में छिपा लेते

1 comment:

  1. समेटे दर्द दिल ने आज चमन में बहार आई जब
    कि तुम गुलाब सहज लेना हम कांटे छुपा लेते


    बहुत खूबसूरत उर्दू अल्फाज़..........



    सुन्दर लगी प्रस्तुति..............

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