तेरी यादों में बेवफाई याद आती है
दर्द ऐ दिल में हरजाई याद आती है
बसा था तू गीतों में,गुनगुनाती रही
वफा ऐ नज़्म में जुदाई याद आती है
दर्द की इन्तेहा में जब भी मुस्कराई
दौर-ए-उल्फत में रुसवाई याद आती है
पलकों में बिठा के ख्वाब थे सजाए कभी
खुद तस्सवुर में तेरी परछाई याद आती है,
शमा-ए-इश्क़ दिल मे जलाई थी हमने
ख़ाक पन्नो की रोशनाई याद आती है !!
चुप रहने की उलझन से रूबरू न हो पायी
खुमार-ए-यार की आशनाई याद आती है
या फ़िक्र हो उनको मेरी या फ़िक्र में मैं न रहूँ
अपनी ही हसरतों की कुर्बाई याद आती है
शीशा ए दिल था चूर चूर हो गया "ज्योति"
मौज़ू-ए-सुख़न में शबे-तन्हाई याद आती है
दर्द ऐ दिल में हरजाई याद आती है
बसा था तू गीतों में,गुनगुनाती रही
वफा ऐ नज़्म में जुदाई याद आती है
दर्द की इन्तेहा में जब भी मुस्कराई
दौर-ए-उल्फत में रुसवाई याद आती है
पलकों में बिठा के ख्वाब थे सजाए कभी
खुद तस्सवुर में तेरी परछाई याद आती है,
शमा-ए-इश्क़ दिल मे जलाई थी हमने
ख़ाक पन्नो की रोशनाई याद आती है !!
चुप रहने की उलझन से रूबरू न हो पायी
खुमार-ए-यार की आशनाई याद आती है
या फ़िक्र हो उनको मेरी या फ़िक्र में मैं न रहूँ
अपनी ही हसरतों की कुर्बाई याद आती है
शीशा ए दिल था चूर चूर हो गया "ज्योति"
मौज़ू-ए-सुख़न में शबे-तन्हाई याद आती है
hid
बेहतरीन प्रस्तुति ... ।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteसादार