Tuesday, December 21, 2010

तेरी यादों में बेवफाई याद आती है

तेरी यादों में बेवफाई याद आती है
दर्द ऐ दिल में हरजाई याद आती है

बसा था तू गीतों में,गुनगुनाती रही
वफा ऐ नज़्म में जुदाई याद आती है

दर्द की इन्तेहा में जब भी मुस्कराई
दौर-ए-उल्फत में रुसवाई याद आती है

पलकों में बिठा के ख्वाब थे सजाए कभी
खुद तस्सवुर में तेरी परछाई याद आती है,

शमा-ए-इश्क़ दिल मे जलाई थी हमने
ख़ाक पन्नो की रोशनाई याद आती है !!

चुप रहने की उलझन से रूबरू न हो पायी
खुमार-ए-यार की आशनाई याद आती है

या फ़िक्र हो उनको मेरी या फ़िक्र में मैं न रहूँ
अपनी ही हसरतों की कुर्बाई याद आती है

शीशा ए दिल था चूर चूर हो गया "ज्योति"
मौज़ू-ए-सुख़न में शबे-तन्हाई याद आती है

hid

2 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति ... ।

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  2. बढ़िया प्रस्‍तुति...
    सादार

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