Friday, December 17, 2010

दोस्ती हमारी

दोस्ती हमारी

बातों ही बातों में शुरू
हुई दोस्ती हमारी ||
तुम्हारी सूरत से ज्यादा
सीरत है मुझे प्यारी ||
शरीर काट के
दिल निकाल के ||
दिखा सकती
तो दिखाती ||
इस दिल में
क्या जगह है तुम्हारी ||
वो खट्टी मीठी नोक झोंक
हर छोटी से छोटी गलती
पर मुझे समझाना ||
फिर भी किसी बात की
नहीं कोई रोक टोक ||
दुनिया में सब दोस्तों से
प्यारी||
दोस्ती तुम्हारी नयारी ||
खुदा से और क्या चाहिए ||
पास है मेरे
प्यारी सी
सच्ची सी
दोस्ती तुम्हारी ||

यह कविता मैंने अपनी सब से प्यारी दोस्त प्रीत भसीन और सबसे अच्छे दोस्त गोविन्द को समर्पित की है दुनिया में माँ और बच्चों के रिश्ते के बाद दोस्ती का रिश्ता अनमोल होता है

2 comments:

  1. The presentation of your feelings in the form of this poetry is as innocent as a bond of friendship should be. You rock! I like your poems a lot. So please keep writing.

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  2. Jidagi main dost jitna pyara nahi or dost jitna ghatak bhi koi nahi, aapne DOSTI ke riste ko bhut hi khoobsurat andaz main pess kiya hain.

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