Tuesday, October 5, 2010

क्यूँ साथ चलना चाहते हो!!

जिन्दगी की किताब के,
पड़ चुके स्याह पन्नों पर,
क्यूँ रंग भरना चाहते हो!!

दफ़न हो चुकी यादों,
को क्यूँ  हक़ीकत,
बनाना  चाहते  हो!!

जिगर के खाली कोने को,
अपनी मीठी बातों से,
क्यूँ  भरना चाहते हो!!

मंज़िल की तरफ़ बढ़ रही,
हूँ, क्यूँ अब उस रास्ते पे,
साथ चलना चाहते हो!!

2 comments:

  1. kya baat..... kya baat.... kya baat......

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  2. wah..........wha............ wha ,,,,,,,,,,,bhut acche gggg

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