Monday, October 4, 2010

पानी की बूँदें

पानी की बूँदें
बद्रा बन के बरसें
धरती की प्यास बुझाती
पानी की बूँदें
आँखों में आँसू बनके बरसें
किसी की याद दिलाती
पानी की बूँदें
हैं इंसानों के लिए
जीवन समान
इसके बिना नहीं है जिंदगी
पेड़, जानवर् या हों इंसान
इस मे ही बसते सब के प्राण

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