Sunday, October 3, 2010

मेरी दो पंक्तियाँ

१.दर्द को जिन्दगी की दवा बना लो
खुदा भी खुद को भूल जाए
कुछ ऐसा कर जाओ जिंदगी में
खुदा भी बस तुम्हारा हो जाए


२. इनायत हो उस खुदा की बस इतनी
मैं इस जहाँ में रहूं
तो उस खुदा के लिए रहूं

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