Saturday, October 27, 2012

क्या हमारा प्यार इतना कम है कि इन्हें हम छाती से न लगा पायें?

देखा है अक्सर मैंने लोगों को 
देखते हुए हिकारत की नजर से 
उन्हें जो ठीक से चल नहीं सकते 
जो देख और सुन नहीं सकते 

इस में इन मासूमों का दोष नहीं 
ये मैन्योंफैक्चारिंग डिफेक्ट भी नहीं 
ये एक जिम्मेदारी है जो मिली है 
सीधे पैदा करने वाले परमात्मा से 

वे एक अलग क्रिएशन है ,इसलिए
उन पर हमें अपना स्नेह और प्यार
ज्यादा देना और लुटाना ही चाहिए
यह जिम्मेदारी हमें सामूहिक मिली है

एक प्रयास करना चाहिए सब को
जिन पर परमात्मा की कृपा है
उन पर कृपा अपना स्नेह प्रेम
लूटने में भी हमें कायर न रहें

हमें चाहिए कि इसे ,हमें हमकी
खूबी मान कर उनका आदर करें
यह एक मौका है हम को दोस्तों
इस को पाकर हमें धन्य होना है

परमात्मा कि क्रिएशन का मजाक
परमात्मा का मज़ाक है दोस्तों
क्या हमारा प्यार इतना कम है
कि इन्हें हम छाती से न लगा पायें????

4 comments:

  1. हमारे वक्त का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है यह रचना .वह तो वैसे ही शरीर से बाधित हैं हम तो सद्य रहें .

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