Thursday, September 6, 2012

लेके दिल की इल्तजा हम आसमां तक जायेंगे

तुमको कुछ अंदाजा नहीं हम कहाँ तक जायेंगे!! 
लेके दिल की इल्तजा हम आसमां तक जायेंगे!!

आखिरी खवाहिश पर सय्याद तक रोने लगा !!
जब परिंदों ने कहा वे गुलसितां तक जायेंगे !!

फरयाद करता रहा दिल खुद बेगुनाह होने की !!
हम तो अब हर एक गमें दास्ताँ तक जायेंगे !!

रौशनी तेरे प्यार की जब तलक है मेरे पास !!
तुझको पाने के लिए हम कहकशां तक जायेंगे !!

रख हौसला बन्दे न घबरा आई मुश्किलों से तू !!
हौसलों के पंख तेरे तुझे मंजिलों तक ले जायेंगे!!

सुख में रह कर भूल मत तू खुदा की बंदगी !!
आसुओं के रास्ते होते हुए, हम दिल तक जायेंगे !!

अब सुधरना नहीं मुमकिन इस दौर में "'ज्योति' !!
ये अँधेरे हमें एक रोज, सच्ची सुबह तक ले जायेंगे !!

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रभावशाली अभिव्यक्ति...
    हृदयस्पर्शी..
    शानदार....
    :-)

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  2. रोशनी गर खुदा को हो मंजूर आंधीयों में चिराग जला करते है खुदा गवाह है...भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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