Thursday, June 7, 2012

तुम्हारी याद रात भर सोने नहीं देती!!

तुम्हारी याद रात भर सोने नहीं देती!!
ज़माने की ताकीद हमे रोने नहीं देती!!

तुम अमानत किसी और के हो क्या करें!!
हालत दिल की बात हमें कहने नहीं देती!!

वो मासूम बनने का करते हैं ज़ुर्म रोज़!!
आदत अपनी कोई सज़ा देने नहीं देती!!

भूल ना जाऊं अपना नाम उनकी याद में!!
सूरत मगर उनका नाम भूलने नहीं देती!!

बैठातें हैं प्यार से वो अपनी पलकों पे!!
प्यारी बातें आँखों को अब रोने नहीं देती!! 

5 comments:

  1. वो मासूम बनने का करते हैं ज़ुर्म रोज़!!
    आदत अपनी कोई सज़ा देने नहीं देती!!

    ऐसे में मुश्किल होता है सज़ा देना!

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  2. खूबसूरत गज़ल......

    अनु

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  3. बैठातें हैं प्यार से वो अपनी पलकों पे!!
    प्यारी बातें आँखों को अब रोने नहीं देती!!
    बहुत खूबसूरत अहसास संजोये हैं... शुक्रिया

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  4. तुम अमानत किसी और के हो क्या करें!!
    हालत दिल की बात हमें कहने नहीं देती!!

    pyar se biga huaa drd ...

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  5. कोई ज़माना था जब घास थी तो घोड़ी भी थी,
    राहगीरों की नजर लगती हमारी एक जोडी थी,

    अब खुद को कोसें या मुकद्दर को बताओ दोस्त,
    तन्हाई की वजह हम निगोड़े या वो निगोड़ी थी !

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