Friday, October 7, 2011

वो आ के भी आ नहीं पाया

प्यार करके जता नहीं पाया
वो आ के भी आ नहीं पाया

बीते लम्हे, वो प्यार की बातें
वो भुलाके भुला नहीं पाया

लिख के रखे थे प्यार के नगमे
चाह के भी वो गा नहीं पाया

बरसों भटका वो जीत की खातिर
जीत के भी हरा नहीं पाया

कसमें खाई थीं खूब मिलने की
पर वो वादा निभा नहीं पाया

लेके जीता रहा हजारों गम
गम उसे पर हिला नहीं पाया

शम्मा बन के जला मगर 'ज्योति'
मुझ को फिर भी जला नहीं पाया

4 comments:

  1. अधूरे प्यार की....अधूरी है बात

    ReplyDelete
  2. लिख के रखे थे प्यार के नगमे
    चाह के भी वो गा नहीं पाया

    बरसों भटका वो जीत की खातिर
    जीत के भी हरा नहीं पाया
    bahut khub likha hai
    jai hind jai bharat

    ReplyDelete
  3. प्यार करके जता नहीं पाया
    वो आ के भी आ नहीं पाया...
    बहुत ही सुन्दर....

    ReplyDelete