Wednesday, October 5, 2011

नया लोकतंत्र लाना होगा


रौशन होगा सारा जहाँ
दीये प्यार के जलेंगे जब
नफरतों के मकाँ गिरेंगे
खुशियाँ होंगी चहुँ ओर तब

... तन, मन , धन करेंगे
अर्पित , मानवता को
कुछ पल सुख के देंगे
दीन हीन दुखियों को

उस मासूम बचपन को
खिलखिलाने ,मुस्कराने दो
जो सिसक रहा भीख मांगते
घर होटलों में झूठन मांजते

ढँक दो कुछ कपड़ों से
फुटपाथ पे पड़े - पड़े
सड़ रहे असहाय लाचार
ठिठुरते उस खुले बदन को

दुर्व्यसनो में पड़ कर
खो चुकी उस जिन्दगी को
वापस लाना होगा ,अपने
देश की उस जवानी को

धूमिल हो चुके देश के
वर्तमान को, देनी होगी
सूर्ये की नई रौशनी
जगमगाते भविष्य के लिए

भृष्टाचार की गहरी खाई
में गिर चुके देश को
अब तो बचाना होगा
नया लोकतंत्र लाना होगा

2 comments:

  1. ये नया लोकतंत्र लाना आसान नहीं ... पर कोशिश जरूर होनी चाहिए ...

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  2. ek din sab sahi hoga,
    jab khud yahin kahin hoga..
    jai hind jai bharat

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