तुम्हें कहाँ कहाँ नहीं ठूंसा जाता
नाड़े में, जेब में , बटुए में , बैग में
तुम घुस जाते हो बिना सत्याग्रह
अब तुम नहीं करते कोई भी विरोध
भगत सिंह आज भी आतंकवादी है
उसके नाम की नाजायज सड़के हैं
तुम तो सबसे आगे हो गाँधी बाबा
चकले तक तुम्हारे नाम पर हैं अब
हक को छिपाया तो जा सकता है
पर दबाया नहीं जा सकता कभी
वह भी सत्य का ही रूप होता है
तुमने भी इस देश की नहीं सोची
बंटबारा करवाकर भी छोड़ ही दी
गले की हड्डी भारत के लिए तुमने
तुम्हारे लिए शायद यही सजा है की
हर बार थूक से रगड़े जाओ बार बार
तुम बचा न सके नौजवानों को
जबकि तुम कर सकते थे आसानी से
तुम अहिंसा पकड़कर भी देख लो
आखिर हिंसा के पक्षधर बन ही गए
किताबें लिखने से सत्य नहीं छिपता
सत्य मन गढ़ता है मनन से अपने
आज भी भगत सिह बड़ा है तुमसे
खड़ा है प्रेरणा बनकर युवा भारत की
भावो का सुन्दर समायोजन......
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