Thursday, June 14, 2012

जलती हुई दास्तान हूँ ए मेरे दोस्तो

मेरे साथ ना चल आग रास्ता है मेरा!!
तू मेरे साथ दोस्ती ना झेल पाएगा!!

मैं हूँ एक सुलगती चिता अरमानों की!!
मेरे साथ जो चला तो तू भी जल जाएगा!!

बहुत लोगों ने कहा अदना सी इंसान हूँ मैं!!
चलती रही जिंदगी की आखरी साँस तक मैं!!

जिनको काँधे दिए मैने उँचा होने के लिए!!
आज कहते हैं मैं जीती रही अपने ही लिए!!

कौन जलता है किसी पराई आग में ज्योति!!
अगर कोई जलता तो दुनिया स्वर्ग ना होती!!

लोग कहते हैं मैं झूठ के लिए जीती हूँ!!
मगर मैं वो हूँ जो सच्च ही कहती हूँ!!

मेरे जखमों को ना सज़ाओ ए मेरे दोस्तो!!
मैं एक जलती हुई दास्तान हूँ ए मेरे दोस्तो!!

1 comment:

  1. मेरे जखमों को ना सज़ाओ ए मेरे दोस्तो!!
    मैं एक जलती हुई दास्तान हूँ ए मेरे दोस्तो!

    उम्दा शेर, वजनदार
    रामगढ में मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से।

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