Thursday, June 7, 2012

मेरे मरने की दुआ माँगेंगे मेरे अपने!!

मेरे मरने की दुआ माँगेंगे मेरे अपने!!
ये कभी कहते ना थे मेरे प्यारे सपने!!

आज मेरे जो दिल पे गुज़री है क्या कहूँ!!
मुझ को जो जुदा कर गए मेरे ही अपने!!

उनको पाकर लगा था पागल हो गई मैं!!
आज सच्च कह रही वही हैं मेरे अपने!!

वो मेरी कश्ती को डुबाने पे आमादा थे!!
हम पागल थे जो उनको मान बैठे अपने!!

बहुत घर जलाए हैं बेवफा तेरे प्यार ने!!
जल के खाक हो गए 'ज्योति' तेरे सपने!!

2 comments:

  1. वो मेरी कश्ती को डुबाने पे आमादा थे!!
    हम पागल थे जो उनको मान बैठे अपने!!

    मन मोहक सुंदर गजल ,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

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  2. मेरे मरने की दुआ माँगेंगे मेरे अपने!!
    ये कभी कहते ना थे मेरे प्यारे सपने!!

    ....बहुत मार्मिक....दिल को छू जाती अभिव्यक्ति...

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