तुम्हें कहाँ कहाँ नहीं ठूंसा जाता
नाड़े में, जेब में , बटुए में , बैग में
तुम घुस जाते हो बिना सत्याग्रह
अब तुम नहीं करते कोई भी विरोध
भगत सिंह आज भी आतंकवादी है
उसके नाम की नाजायज सड़के हैं
तुम तो सबसे आगे हो गाँधी बाबा
चकले तक तुम्हारे नाम पर हैं अब
हक को छिपाया तो जा सकता है
पर दबाया नहीं जा सकता कभी
वह भी सत्य का ही रूप होता है
तुमने भी इस देश की नहीं सोची
बंटबारा करवाकर भी छोड़ ही दी
गले की हड्डी भारत के लिए तुमने
तुम्हारे लिए शायद यही सजा है की
हर बार थूक से रगड़े जाओ बार बार
तुम बचा न सके नौजवानों को
जबकि तुम कर सकते थे आसानी से
तुम अहिंसा पकड़कर भी देख लो
आखिर हिंसा के पक्षधर बन ही गए
किताबें लिखने से सत्य नहीं छिपता
सत्य मन गढ़ता है मनन से अपने
आज भी भगत सिह बड़ा है तुमसे
खड़ा है प्रेरणा बनकर युवा भारत की
Tuesday, August 20, 2013
तू मेरी कब्र को क्या करता है सजदा "ज्योति"
जब जरुरत थी तब तो आवाज नहीं दी तुमने
लेकर हाथ में कटोरा तुम क्या मांगते हो मुहब्बत
झूठे ये भी जानते , ये कोई कारोबार नहीं "ज्योति
तेरी मुस्कराहट के लिए कितने खाए जख्म "ज्योति"
तेरी हंसी ने जख्मों पे ये कैसा मरहम लगा दिया
अब भर गया है दिल या खंजर की और प्यास है
लो सामने रखा है दिल "ज्योति" हसरत निकाल लो
दीवारों पर सजाने से तसवीरें नहीं होते देश भक्त
"ज्योति "देश के लिए कुछ करो तो कोई बात बने
तुम क्या जानों तरसने का मजा"ज्योति"
दिल भी जलता और बारिश भी होती है
मुझको देखो मगर न निगाहों से छूना "ज्योति"
हुश्न की बर्फ है गर्म आहों से पिघल भी सकती है
मैं हँस रही थी , प्यार की हवा चली "ज्योति"
फिर जो बरसात हुई अब तक न थमी आँखों से
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