कशमकश मे फँसी मछली सी
ये तन्हा जिंदगी मिली मुझको!!
खाती रही धोखे ही ता उमरा
कोई न समझ पाया मुझको !!
न अपना सकी ज़माने को
न ज़माने ने अपनाया मुझको !!
यहाँ कोई शख्स मेरा न हुआ
न बनाया किसी ने अपना मुझको !!
त्याग,करुणा,प्रेम बस लफ्ज़ रहे
कोई इंसान न माना मुझको !!
सब मेरी जिंदगी के सदगुण
बन दुश्मन सताते रहे मुझको!!
प्यार रहा जैसे कारोबार कोई
सब ऐसे नचाते रहे मुझको !!
साँस दर साँस हुई मेरी नीलामी
कौन करता है प्यार मुझको !!
बड़ी हैरान हूँ "ज्योति" अब मैं
ये सिला प्रेम का मिला मुझको!!
ये तन्हा जिंदगी मिली मुझको!!
खाती रही धोखे ही ता उमरा
कोई न समझ पाया मुझको !!
न अपना सकी ज़माने को
न ज़माने ने अपनाया मुझको !!
यहाँ कोई शख्स मेरा न हुआ
न बनाया किसी ने अपना मुझको !!
त्याग,करुणा,प्रेम बस लफ्ज़ रहे
कोई इंसान न माना मुझको !!
सब मेरी जिंदगी के सदगुण
बन दुश्मन सताते रहे मुझको!!
प्यार रहा जैसे कारोबार कोई
सब ऐसे नचाते रहे मुझको !!
साँस दर साँस हुई मेरी नीलामी
कौन करता है प्यार मुझको !!
बड़ी हैरान हूँ "ज्योति" अब मैं
ये सिला प्रेम का मिला मुझको!!
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" पर पधारें, मेरे प्रयास पर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें .
बड़ा ख़ुफ़िया सा ब्लाग हे जी. ब्लाग और ब्लापोस्ट लगाने वाले दोनों का ही नाम एक !!! हो सकता है लेबल में कोई रहस्य छुपा हो...
ReplyDeletebahut sunder ...
ReplyDeleteसुंदर प्रयास ज्योति जी !
ReplyDeleteयह दुनिया ऐसी ही है सुंदर प्रयास...सार्थक रचना बधाई
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना है ,आप की प्रोफाइल पढ़ी बहुत बढिया लिखा आप ने बधाई,शायद मैं पहली बार आप के ब्लॉग तक आए हूँ,ख़ुशी हुई आकर ,आप भी सादर आमंत्रित है मेरे ब्लॉग पर
ReplyDeleteआप के ब्लॉग की १०० वी सदस्य बन कर मुझे ख़ुशी हुई ,आप को भी मुबारक हो,.....कमेन्ट देते हुए वर्ड वेरिफिकेशन से दिक्कत होती है उसे हटा दें तो सब को सुविधा हो जाए
ReplyDeletesundar panktiyan
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut dhanyawaad saath me mujhe khushi hui ke mere blog ke 100 followers ho gai sabhi ko mera ek baar fir se dhanyawaad
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर में आपके ब्लॉग पे पहली बार आया हु
ReplyDeleteलेकिन आगे आता रहूँगा
मेरे ब्लॉग पे भी आप आएंगे तो हमें अच्छा लगेगा
http://vangaydinesh.blogspot.in/