Monday, June 24, 2013

कैसे हुआ खंड खंड अपना सारा उत्तराखंड 
कैसी गजब कुदरत ने विपदा ये बरसाई है
कहीं खोई माता किसी का खो गया भ्राता
कहीं पत्नी की पति से हुई असमय जुदाई है
वहां देखो रोते हैं लोग बड़ा ही दुःख रहे भोग 
उत्तराखंड पर बहुत यह कठिन घडी आई है
त्राहि त्राहि करते जन सबका भारी हुआ मन 
भारी वर्षा ने भगतों पर भारी विपदा ढाई है
सभी इकट्ठे होकर जन करे पक्का ये मन 
बांटे मिलकर के दुःख हम सभी भाई भाई हैं
है बड़ी कठिन घडी जो अपने देश पर पड़ी 
मानव ने ममता मदद से ही विजय पाई है
1.इम्तिहान है इंसानियत का उसपे खरे उतरना है
यथाशक्ति सबको मिलकर बनकर देव उभरना है 
2.ये ही लिखा है शायद अभी तकदीर में
 दूर से सेंका करे हम आँख अपने यार पर

Friday, June 21, 2013

आज समय की मांग यही है सभी करें ये विचार 
कैसे मिटे देश में छाया विधर्म और फैला भ्रष्टाचार 
हर एक त्रस्त है देखो है इनकी कैसी मार 
चारों ओर जन जन में मची है हाहाकार 
हर एक उठाये फिरता है अपने फिरके का झंडा 
धर्म के नाम पर हो रही केवल जूतमपेजार 
कोई धर्म नहीं जानता धर्म है सच्चा प्यार 
जैसे खुद को चाहते वैसा हम करें व्यवहार 
राजनिति के चक्र में धर्म हुआ जाता लोप 
राजनितज्ञ धर्म का भी बना रहे व्यापार 
कौन भला सुनाता है रोती धरती की पुकार 
काटे पेड़ वस्न तब नंगी धरती है बेज़ार 
देखो बढ़ा है पारा गर्मी करती है अपना वार 
धरती त्राहि करती बढ़ता जनसंख्या का भार 
उजड़े पर्वत उजड़े वन खेत हुए रेगिस्तान 
सभी ओर हिन्द हमारा होता जाता है लाचार 
धरती धर्म बचाना अपना हो जाए लक्ष्य परम 
ऐसा कर पायें तो होगा सब जन का उधार

Saturday, June 15, 2013

1.अजब इंसान हैं या रब, इनको मनाया भी नहीं जाता
नाजनीनों का नखरा "ज्योति" उठाया भी नहीं जाता

2.क़यामत इनका गुस्सा है खुदारा बचाना मुझको
मनाया भी नहीं जाता , इनको रुलाया भी नहीं जाता

3.बड़ी बच्चे सी जिद कर बैठे वे समय के साथ
बुलाते थक गए हैं वे , मगर जाया नहीं जाता

4.अजब है रूठना उनका, जैसे सांसों का जुदा होना
भुलाया भी नहीं जाता ,अब मनाया भी नहीं जाता

5.मान जाओ रूठे यार कि हम भी उदास हैं
हैं वक़्त के मारे मगर "ज्योति"तेरे ही दास हैं
जब से मैंने पाया तुम्हें फिर से हुई मैं नई
मैं तुमसे ही माँ बनी मैं तुमसे नारी हुई
तुम ही मेरी इच्छाओं का हो नील गगन 
तुमसे ही मेरी सारी साधे है सजी हुई
तुम मेरे प्रिय मेरी ममता के साकार रूप
तुमको पाकर मन से मैं हर्षित हुई

Tuesday, June 11, 2013


1.तू तोड़ मुझे जमाने तेरे फितरत है यही 
मैं तो दिल जोड़ने में ही खुश हूँ हर हाल

2.ये तेरा गुस्सा और तेरी ये निगाह वल्लाह 
 दिल के कितने टुकड़े हुए मालूम नहीं ये

3.अरे आशिक क्या पीता है मय प्यालों में 
 कभी मेरी आँखों में में जरा झाँक जरा

Saturday, June 1, 2013

1.तू मुझे ताने न दे करके जुदाई का जिक्र ,
 कौन सी सांस है जो तेरे बिना आती है

2.ये मचलना तेरा बेबात बहुत भाता है "ज्योति " 
अब किसी और की चाहत ही कहाँ है मुझे

3.मेरी साँसों में बसा है बस नाम तेरा "ज्योति".
 बे-वफ़ा फिर भी मुझे बेखबर तुम कहते हो