वो हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे बेताब लहरें ,
साहिल छूने को हों !!
वो हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे तपते रेगिस्तान में,
किसी प्यासे के लिए .
पानी की चाँद बूँदें हों !!
वो हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे अँधेरी रातों में ,
चिराग की रौशनी हों !!
वो हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे उमस भरी गर्मी,
में एक ठंडा हवा का,
झोंका हों !!
वो हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे ठिठुरती रातों में ,
कोई औढाया कोई कंबल हों !
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